क्या जानते हो / हरे प्रकाश उपाध्याय
क्या जानते हो
नदी में तैरते हुये सोचता हूं
पानी नदी के बारे में क्या जानता है
नदी से पूछता हूं
तुम पानी की हो या मेरी
नदी कोई जवाब नहीं देती
वह हवा की ओर इशारा करती है
धूप से आंख मिचौली खेलती हवा के बारे में
हम क्या जानते हैं?
कोई किसी के बारे में क्या जानता है?
एक स्त्री जो रोज चूल्हा जलाती है
आग के बारे में क्या जानती है
आग ही आग के बारे में क्या जानती है
मै उदास हूं तो मित्र
तुम भी उदास हो जाते हो
मेरी उदासी में
किसकी हंसी शामिल है
तुम क्या जानते हो?
नाराज़ ध् हरे प्रकाश उपाध्याय
नारज में राज का निषेध है
फिर भी
आप तो ऐसे नारज होते हो
जैसे राज की कोई बात हो
क्या आप किसी पर नाराज होते हुये
कभी सोचते हैं
कि आप उस पर राज नहीं कर रहे?
नाराज के आगे कोई ना कर दे
तो नाराज हो जाता है
क्या आपने कभी इस तरह सोचा है
आपने इस तरह नहीं सोचा है तो....
फिर नाराज के बारे में आपने क्या सोचा है?
मेरा बच्चा नाराज के पहले
हमेशा ‘का’ जोड देता है और हंसता रहता है
देर तक.........।