क्या तुमने पेड़ों से बातें की हैं / प्रकाश मनु
बोलो प्यारे चुनमुन, तुमने
क्या पेड़ों से बातें की हैं?
जा करके नजदीक कभी तुम
कहना दादा, कथा सुनाओ,
कब आए थे तुम धरती पर,
अजी, कहाँ से तुम आए थे?
तब कैसी थी अपनी धरती
कैसा अंबर, हमें बताओ।
तब तुमको वे पास बैठाकर
दुलराएँगे, पुचकारेंगे,
फिर हँसकर छेड़ेंगे किस्सा
और कहेंगे चुनमुन प्यारे,
नहीं यहाँ इनसान कहीं था,
हम तो दुनिया में तब से हैं,
गुजरी सदियाँ, साल हजारों
युग आए, युग बीत गए हैं
प्यार बाँटते, प्यार लुटाते
दुनिया को हम स्वर्ग बनाते!
चाहो तो तुम चुपके-चुपके
गुन लो मन में यही कहानी,
दुनिया में सबसे सुंदर जो
दुनिया में सबसे लासानी!
सुन-सुनकर वे मीठी बातें
अचरज से तुम भर जाओगे
और कहोगे मन ही मन में
हाँ, पेड़ों से बातें की हैं,
मैंने सचमुच बातें की हैं!
पेड़ हमारे ऐसे पुरखे
जो देते हैं सबको प्यार,
पेड़ हमारे ऐसे पुरखे
करते जो सबका सत्कार।
पेड़ हमारे ऐसे पुरखे
जिनकी शीतल-शीतल छाया,
हारे-थके पथिक आते हैं
सबको गोदी में बिठलाया।
पेड़ हमारे ऐसे पुरखे
भर-भर लाते जो मीठे फल,
जो भी उनके पास आ गया
हो जाता है सच्चा, निर्मल।
पेड़ हमारे ऐसे पुरखे
जो देते सबको आशीष,
इसीलिए सच्ची मानो तो
उनके आगे झुकता शीश।
पेड़ हमारे ऐसे पुरखे
जहाँ नहीं फुरसत की साँस,
हाथ बढ़ाकर सबसे कहते
आओ पास, आओ पास!
पेड़ों की छाया में बैठे
तो कुछ निर्मल हो जाओगे,
मन भी महक उठेगा सारा
प्यारे चुनमुन कहलाओगे।
सभी कहेंगे, यह चुनमुन है
जिसका दिल है सीधा-सच्चा,
पेड़ों का है मित्र सजीला,
सबसे अच्छा है यह बच्चा!