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क्या तुम्हें भी ? / अनिरुद्ध नीरव

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यह फूल
कैलेण्डर छपा-सा लगे
क्या तुम्हें भी ?

ये तितलियाँ
उस फ़ोन के
विज्ञापनों में थीं
ये ख़ुशबुएँ
स्कीम वाले
साबुनों में थीं

यह 'कुहुक'
सी० डी० में सुना-सा लगे
क्या तुम्हें भी ?

ये हवा
शीतल है मगर
ज़्यादा न कूलर से
सच है
कि कोंपल नर्म है
पर कम ज़रा
अपने नए गुदगुदे बिस्तर से

वह दृश्य
टी० वी० पर दिखा-सा लगे
क्या तुम्हें भी ?

वह चीख़ है
या गान फिर
झुरमुटों-छाँवों में
अब घर चलें
जल्दी
कि कोई हादसा भी
इन दिनों
संभव है गाँवों में

यह इलाका
पेपर पढ़ा-सा लगे
क्या तुम्हें भी ?