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क्या तुम मुझ से बात करोगी / रति सक्सेना
Kavita Kosh से
क्या तुम मुझ से बात करोगी
पहले की तरह
अपनी कब्र पर रखे पत्थर को उतार कर
कंकाल पर माँस पहन कर
तुम मुझसे बात करोगी
पहले की तरह
उसने पूछा
"कैसे?"
मैंने कहा
"माँस की बात करते हो
हड्डियाँ गल कर
बन गई हैं बुरादा
जीभ झड़ गई
आवाज आसमान में उड़ गई
"बात तो करो
सब कुछ आ जाएगा
माँस, हड्डियाँ, जीभ
और तो और
आवाज"
मैंने दरख्त की जड़ से जीभ बनाई
पत्तियों से दाँत
घाटियों में घूमती आवाज को पकड़ा
सागरी लहरों से देह बनाई
लो, अब मैं तैयार हूँ,
बतियाने के लिए
अरे अब तुम कहाँ गए?