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क्या था अपना / वत्सला पाण्डे
Kavita Kosh से
तन दिया
फिर कर्म भी
सौंप दिया
ऐतबार अपना
दे दिया
वह सब भी
जो था कभी
अपना
पर
कुछ तो रहा
ऐसा जो
नहीं दे सकी
तुम्हें
जहाज के पंछी सा
लौटता रहा
जहां से आया था
मन