क्या दवा वक्त से ले ली होगी / प्रेमरंजन अनिमेष
क्या दवा वक़्त से ले ली होगी
घर में माँ कितनी अकेली होगी
वो जो सिमटी-सी सजी-सी दुल्हन
ख़ुद की ख़ातिर भी पहेली होगी
आज लगती है जो पुरखन जैसी
साथ अपने कभी खेली होगी
कोई रूठा तो मना लो उसको
अभी कुट्टी अभी मेली होगी
प्यार को ज़िन्दा अगर रख पाए
दिन नया रात नवेली होगी
फिर तेरी ख़ाक में ही क्यों न सने
कहीं चादर तो ये मैली होगी
फूल जंगल में कोई मुसकाया
दूर ख़ुशबू कहीं फैली होगी
दिल में दुनिया को बसाए बैठे
जेब में धेली अधेली होगी
होंठों पर होंठ भी रख सकते हो
क्यूँ परेशां ये हथेली होगी
मौत आती है तो आए 'अनिमेष'
ज़िन्दगी की ही सहेली होगी