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क्या नहीं मशहूर के सिवा यारो / रामकुमार कृषक
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क्या नहीं मशहूर के सिवा यारो,
रौनके - भरपूर के सिवा यारो !
इल्म कोई भी नहीं आया न जो,
सोहबते - शऊर के सिवा यारो !
जो कहा जिसने कहा होते रहे,
मोहसिने - मश्कूर के सिवा यारो !
दाँत खट्टे कर नहीं पाया कोई,
सिर्फ़ इक अमचूर के सिवा यारो !
हम सभी को मानकर बेटी चले,
दुख़्तरे - अँगूर के सिवा यारो !
तोड़ हर दस्तूर हम आलिम हुए,
संगदिल - दस्तूर के सिवा यारो !
हम परम नारद कहीं फिसले नहीं,
इक सियासी हूर के सिवा यारो !