क्या भला मुझको परख़ने के नतीजा निकला
ज़ख़्म-ए-दिल आप की नज़रों से भी गहरा निकला
तोड़कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला
तिश्नगी जम गयी पत्थर की तरह होंठों पर
डूब कर तेरे दरिया में मैं प्यासा निकला
क्या भला मुझको परख़ने के नतीजा निकला
ज़ख़्म-ए-दिल आप की नज़रों से भी गहरा निकला
तोड़कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला
तिश्नगी जम गयी पत्थर की तरह होंठों पर
डूब कर तेरे दरिया में मैं प्यासा निकला