भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्या मैं कोई गुनाह करता हूँ / सुशान्त सुप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्या मैं कोई गुनाह करता हूँ
यदि

पत्थरों से माँगता हूँ
चिंगारी भर आग

तितली से माँगता हूँ
चुटकी भर रंग

महबूबा से माँगता हूँ
विश्वास भर प्रेम

शिशुओं से माँगता हूँ
स्मृति भर किलक

पूर्वजों से माँगता हूँ
पृथ्वी की तबाही के लिए क्षमा

क्या मैं कोई गुनाह करता हूँ
यदि

मछलियों से माँगता हूँ
तैरने का राज

कोयल से माँगता हूँ
गीत का अंदाज़

साहित्य से माँगता हूँ
जीवन का साज़