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क्या रखा है मेरे नाम में / अलेक्सान्दर पूश्किन / वरयाम सिंह

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क्या रखा है मेरे नाम में तुम्हारे लिए ?
मर जाएगा वह शोकाकुल उस लहर के शोर की तरह
छलकती-टकराती है जो दूर तटों पर,
मर जाएगा वह ख़ामोश जंगल में रात की ध्वनियों की तरह ।

स्मृतियों के पृष्ठों पर वह
छोड़ जाएगा इस तरह के बेजान चिह्न
जैसे क़ब्रों में ऐसी भाषा में लिखे शिलालेख
जिन्हें कोई भी समझ नहीं पाएगा कभी ।
 
क्या रखा है नाम में ? भुलाया जा चुका है उसे
नई-नई बग़ावतों और नए-नए आन्दोलनों में,
छोड़ नहीं सकेगा यह नाम तुम्हारे हृदय में
निष्कलंक, स्नेहपूर्ण स्मृतियाँ किसी भी तरह की ।
 
पर दुख के क्षणों में, एकान्त ख़ामोशी में
मुझे याद करते हुए तुम नाम लेना मेरा,
बताना, अभी शेष है मेरी याद,
शेष है एक हृदय जिसमें जीवित हूँ मैं ।

1830
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
             Александр Пушкин
        Что в имени тебе моем…

Что в имени тебе моем?
Оно умрет, как шум печальный
Волны, плеснувшей в берег дальный,
Как звук ночной в лесу глухом.

Оно на памятном листке
Оставит мертвый след, подобный
Узору надписи надгробной
На непонятном языке.

Что в нем? Забытое давно
В волненьях новых и мятежных,
Твоей душе не даст оно
Воспоминаний чистых, нежных.

Но в день печали, в тишине,
Произнеси его тоскуя;
Скажи: есть память обо мне,
Есть в мире сердце, где живу я…

1830 г.