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क्या रहस्य है तुम उदास हो / श्यामनन्दन किशोर
Kavita Kosh से
क्या रहस्य है, तुम उदास हो?
आये कितने संकट के क्षण।
सहे सभी तुमने निर्भय बन।
पर चुप कब बैठी तुम बोलो
इस प्रकार, इतनी निराश हो?
क्या रहस्य है, तुम उदास हो?
कहो न मैं क्या कर दिखलाऊँ?
कैसे इस दिल को समझाऊँ?
जब पूनम-हासिनी ले रही
रह-रह लम्बी-सी उसाँस हो।
क्या रहस्य है, तुम उदास हो?
क्या माँगे मरुथल का राही?
(तट पर भी कब मिटी तबाही!)
जब सागर के अन्तस्तल में-
ही धू-धू जल रही प्यास हो।
क्या रहस्य है, तुम उदास हो?
(5.9.54)