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क्या सही है बंद भारत / प्रेमलता त्रिपाठी

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क्या सही है बंद भारत।
चल रहा है द्वंद भारत।

जीव माना श्रेष्ठ हमको,
धर्म क्यों कर फंद भारत।

सत्य का आधार लेकर,
लक्ष्य हो नव छंद भारत।

भूलते इतिहास हम क्यों,
रो रहा अब नंद भारत।

भीत मानव जी रहा है,
खुश विरोधी चंद भारत।

अस्मिता को तार करते,
हो रहा मति मंद भारत।

प्रेम जीवन खो रहा है,
नीति का आनंद भारत।