भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्या सुनायें वही कहानी है / उर्मिल सत्यभूषण
Kavita Kosh से
क्या सुनायें वही कहानी है
ज़ख़्म की बात है, पुरानी है
धार तलवार की है राहे वतन
चल पड़ी जिस पे जिं़दगानी है
हौसला देख, हमने ऐ दुनिया
आग से खेलने की ठानी है
जल भी जायें तो उफ़ करेंगे नहीं
आप को कोई बदगुमानी है
दूर जलते पहाड़ हैं यारो
वो ही मंजिल हमें तो पानी है
मौत आये तो रोक ले उर्मिल
हार उसने कभी न मानी है।