क्या हूँ बता दो / अवनीश त्रिपाठी
नवप्रयोगों
की धरा पर
छटपटाता हूँ निरन्तर,
गीत हूँ,नवगीत
या जनगीत हूँ
क्या हूँ बता दो??
बिम्ब का
प्रतिबिम्ब हूँ या
नव्यता हूँ, रीति हूँ,
मैं प्रतीकों
की चुभन हूँ
या छुवन हूँ, प्रीति हूँ।
कथ्य हूँ
या भाव हूँ या
छंद का अनुरोध हूँ मैं
संस्कारित
आचरण का मीत हूँ
क्या हूँ बता दो??
लेखनी की
पीर हूँ या
द्वन्द्व हूँ, प्रतिरोध हूँ,
हाशिये पर
हूँ टँगा या
पृष्ठ का प्रतिशोध हूँ,
क्षेत्रवादी हूँ
कि गुट हूँ
वर्गवादी क्या पता,
ऐतिहासिक
या कि कालातीत हूँ
क्या हूँ बता दो??
हूँ भ्रमित
या फिर शमित
यह प्रश्न अब तक है निरुत्तर,
उच्च वर्गों
की दमक हूँ
या दलित,शोषित, निरक्षर।
यक्ष हूँ,
गन्धर्व-मानव
देवता-मन-प्राण हूँ,
ईर्ष्या-मद
लोभ-मत्सर-प्रीत हूँ
क्या हूँ बता दो।।