क्या होगी वक़्त की सही आवाज़ / नीलोत्पल
कैसी होंगी सदी की वे पंक्तियां
जो बिना शोर और हड़बड़ी के लिखी जाएंगी
वह झूठ के बारे में होंगी
या किसी बड़े हादसे के
क्या उसमें बच्चे होंगे
और वे पेड़ जिन्हें अभी तक जलाया नहीं गया
औरतें तो अमूूमन वही होंगी
लेकिन वे पंचायतें
जिनमें गौत्र, जाति, धर्म की रस्म अदायगी टूटी नहीं
वे कितनी औरतों के मालिक होंगे, कितनों के भक्षक
क्या वह दलितों के उन मसीहाओं के लिए होंगी
जिन्होंने ख़ुद अपनी मूर्ति गढ़ी और गाथा रची
या वे जो उनके यहां भोजन करके
निकल जाते हैं किसी अगली सभा की ओर
क्या होगी इस वक़्त की सही आवाज़
जो हमारे चुप रहने से
ज़्यादा ज़रूरी होगी
वह शेरों के बारे में तो नहीं होगी
कम-से-कम
जो बचे हुए 456, ख़ुद शिकार हैं
क्या वह फ़तवों-फ़रमानों के बारे में
लिखी जाएगी
या होगी उन पत्थरों के लिए
जो पूजे, तोड़े और फेंके जाते हैं
क्या होगा इस दुनिया में सदी का सच
हम पेड़ों, गुफाओं और अपनी असभ्य खोल के भीतर
जीवित रहेंगे
आख़िरकार
हमारे पास तय करने के लिए कुछ नहीं होगा
सिवाए जख़्मों और निराशा के