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क्यूँ डरते हो तुम? / मनीष मूंदड़ा
Kavita Kosh से
क्यूँ डरते हो तुम?
किस बात से डरते हो तुम?
क्या है तुममें
क्या लाये हो...जो हो जाएगा गुम?
एक जिस्म
एक रूह
एक दिल
चंद साँसे
सपने, कुछ पराए, कुछ अपने
बस इतना ही तो हैं?
बताओ
इसमें डर की कहाँ जगह हैं?