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क्यूं काची खेती काटो हो ? / करणीदान बारहठ

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क्यूं नींव उखाड़ो नई नई
आ चाचै नेहरू चिणवाई
क्यूं काची खेती काटो हो,
आ बाबै गांधी बिजवाई।

पंच परमेश्वर बाजो हो,
देवा स्यूं रुतबो ऊंचो है।
राम राज रा सैनिक हो,
ढ़ायां स्यूं ऊंचो पूंचो है।

जनता रा चूनेड़ा प्रतिनिधि हो,
छांट्योड़ा परजा रा सेवक हो।
जेलां रा तप्पेड़ा साधू हो,
परलय झेलेड़ा सेवक हो।

बापू रा साचा बेटा हो,
खादी पहनो खादी ओढ़ो।
जुध में जूझण खातर थे,
मौत स्यू मुखड़ो ना मोड़्यो।

थानै अब पंच बणाया है,
पंचा रो प्यालो हाथां में।
तकदीर सूंपदी म्हे थानै,
हाथां री देदी बांथा में।

दो बात पूछल्यूं मैं थांनै,
थे साच बताओ घर आला।
दिल्ली आला जैपर आला,
गावां री पंचायत आला।

सौगन्ध खुआऊं बापू री,
बापू री बापू री खादी री।
खादी री खादी री टोपी री,
टोपी री दियेड़ी गादी री।

बीं भगतसिंह री सूं थाने,
बीं भगतसिंह री फांसी री।
सन् सत्तावन री कुर्बानी री,
थानै सूं राणी झांसी री।

थानै है कसम तिरंगे री,
चरखैरी चरखै धागां री।
सीमा आली कुर्बानी री,
बी रगत रंगेड़ी फागां री।

गांधी री धोली चादर पर,
क्यूं लागी टिक्की कालोड़ी।
क्यूं भूंडी लागै आपानै,
आ दोरी आजादी पाल्योड़ी।

थे तप्पेड़ा जेला रा साधू,
लूचा लंगवाड़ा कहलाओ।
क्यूं थोथी बातां कर करगे,
मां रै बेटां नै बहकाओ।

थारी भूखां नै याद करो,
अंग्रेजी शासन कांप्यो हो।
थारै सूकेड़ा चेहरा स्यूं,
गौरो सिंहासन थर्रायो।

बा भूख बधी है ईं हद तक,
थे खुल्ला डाका डलवाओ।
ओ पेट बध्यो है ईं, हद तक,
चौड़ै धाड़ै लूटो खाओ।

दड़ाकू पालो गुंडा पालो,
कुर्सी खातर पीसा बालो।
दारू पीओ दारू प्याओ,
चौड़े धाड़े खुल्ला खालो।

अै धोल पोसिया नौ करतो,
अब बूक मांडली माथै पर।
आ बाढ़ खेत नै खावै है,
आ हाथ धर्यो है हाथै पर।

म्हे राज रुखाला समझे हा,
अब राम रुखाला ही कोनी।
ओ राज बदलग्यो के म्हांस्यूं,
अब राज भरोसो ही कोनी।

ओ मिनखपणो दबग्यो नीचै,
आ गुंडा गदी चौड़े धाडै।
कुण पूछै कठै रोवै,
अब कुण आवै म्हारै आड़ै।

आपू आलो आपी बस्सै,
कानून दबेड़ो गर्लावै में।
अन्याय झेलल्यो धीरज स्यूं,
जे राज बड़ै तो पछतावै।

आ भूख पड़ भभका मारै,
आ खड़ी गरीबी करलावै।
अै करै मस्करी महल मालिया,
आ पड़ी झूंपड़ी बरड़ावै।
साचै रा पूर फटेड़ा है,
ओ झूठो मौज उड़ावै है।
रोज साड़ियां बदलै रिश्वत,
ईमान प्याजिया खावै है।

दारू में डूब्या पंच फैसला,
बीड़ी स्यूं तूगी पंचायत।
बोतलड़ी बोलै है बापूजी,
धूंअै में फंसगी रियायता।

गांधी रा चेला गलियां में,
कुतिया नै मुंह चटावै है।
गांधी री गीता री बाण्यां,
अब दही पकोड़ा खावै है।

अै कर पदड़का बेईमान,
अब धोखै री पो बारह है।
कूचील पूंचग्या महलां में,
अक्कल मूरख रे लारै है।

म्हारा पाल्योड़ा बाछड़िया,
सै सांड सूरवां बणग्या है।
थोथे बांसां स्यूं घिरे नहीं,
बाहेड़ा खेतां में बड़ग्या है।

क्यूं राणा सांगा रा बेटा,
सै झूठा परवाना ले आया।
बै बैठ मसूरी री छाया,
भारत नै धोखै दे आया।

बीं भूखै कुत्तै चीनी रै,
शरणै में आगी क्यूं रजपूती।
मैं सुणी इयां थे भाज खड़या,
सै भूल आपणी ही जूती।

आ भूंड दिराई सगला नै,
साथी संगी भाया नै।
दुनियां में नीची करवाई,
साची हिंदवाणी काया नै।

म्हारो विश्वास बिखरग्यो है,
आ बात भेद री बतलाऊं।
ओ चित्त चानड़ो होग्यो है,
आ बात कियां में समझाऊं।

कवि री वाणी साची है,
थानै तो तीखी लागैली।
म्हे ढ़ोल पीटणो भूलेड़ा,
ओ ओखद खारी लागैली।

ओ चाक चाबणो पड़सी ही,
अब देश बदलणो चावै है।
घड़ियो भरग्यो है पापां स्यूं,
अब तुरत फूटणो चावै है।

लाणत री आंधी चालै है,
आ धूल पड़ै धोबां धोबां।
थारी काया में ज्यान नहीं,
ओ रोज ताकलो म्हे खोबां।

धरती धापी है घूमां स्यूं,
धरती रो धरम पुकारै है।
सूत्यां रा तो पाडा जणसी,
जाग्योड़ा भैंसा धारै है।

बात्यां सूं बात बणै कोनी,
अब बातां में विश्वास नहीं।
ऊत पणै रै गुरू जूत है,
काम करो अब बात नहीं।

क्यूं नींव उखाड़ो नई नई,
आ चाचै नेहरू चिणवाई।
क्यूं काची खेती काटो हो,
आ बाबै गांधी बिजवाई।