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क्यों? / प्रतिभा सक्सेना
Kavita Kosh से
मेरे लिए कहीं निवृत्ति है
बार-बार बिखरता है जो सपना
कहीं घर है मेरा अपना ?
कुछ छूट पाने का अवसर है या
अपेक्षाएँ पूरी किए जाना यही नियति है ?
सब कुछ निभाए जाना क्या सहज प्रकृति है ?
कुछ चाहना,
या जीवन को अपनी तरह थाहना,
गुनाह है मेरा ?
कहाँ मुक्ति है,
वानप्रस्थ या सन्यास,
मुझे क्यों वर्जित है ?