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क्योंकर किनाराकश है सफाई न दे मुझे / सादिक़ रिज़वी

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क्योंकर किनाराकश है सफाई न दे मुझे
पीरी में बेटा शाक-ए-जुदाई न दे मुझे

कुछ ऐसा फंस गया हूँ मोहब्बत के जाल में
राहे फरारे इश्क़ सुझाई न दे मुझे

मुंसिफ तो क्या मैं शह्र का क़ाज़ी तलक नहीं
मज़लूम दर पे आ के दुहाई न दे मुझे

मालिक अभी तो कारे मोहब्बत है नातमाम
क़ैद-ए-हयात से तू रिहाई न दे मुझे

कर दूं हवाले मौत को इज्ज़त से ज़िंदगी
पाकीज़ा ज़ह्न-ओ-दिल में बुराई न दे मुझे

पूछो न मेरे आलमे वहशत हाल-ए-ज़ार
अपने ही दिल की बात सुनाई न दे मुझे

तुमको पसंद गर नहीं 'सादिक़' की शायरी
दाद-ए-सुखन कभी मेरे भाई न दे मुझे