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क्योंकि यहाँ तुम रहते हो / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
यह शहर
मुझे अच्छा लगता है
क्योंकि यहाँ तुम रहते हो
भले ही हमारे घरों के बीच
मीलों का फ़ासला है
भले ही तुम्हें देखे
गुज़र जाते हैं
बरसों - बरस
भले ही हमारे बीच खडी़ है
सैकड़ों दीवारें
भले ही यह शहर
हो गया है असुक्षित
फिर भी तुम्हारी उपस्थिति की सुगन्ध
महकाए रहती है
मेरे रात - दिन
और इसे छोड़ने की कल्पना से दुखता है मन...।