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क्यों इतनी जानलेवा है / रसूल हमज़ातफ़ / साबिर सिद्दीक़ी
Kavita Kosh से
— क्यों इतनी जानलेवा है तू, दिलनशीं बहार ?
— तुझको अभी से कैसे बताऊँ मैं, सिरफिरे !
इक रोज़ खुल ही जाएगा तुझपर वो भेद भी,
पर्वत की चोटियों पर ज़रा बर्फ़ तो गिरे !
— मुझसे न कोई राज़ रख, उठते हुए शबाब !
हँस-बोल, कुछ बता तो सही अपने दिल के भेद ।
— कुछ देर रुक कि ख़ुद ही समझ लेगा सारे राज़,
आने दे अपने सिर पे ज़रा बाल कुछ सफ़ेद ।
रूसी भाषा से अनुवाद : साबिर सिद्दीक़ी