Last modified on 28 अगस्त 2012, at 17:03

क्यों इन आँखिन सौं निरसंक / मतिराम


क्यों इन आँखिन सौं निरसंक ह्वै मोहन को तन पानिप पीजै.

नेक निहारे कलंक लगै इहि गाँव बसे कहौ कैसे के जीजे .

होत रहे मन यों ‘मतिराम’ कहूँ बन जाय बरो तप कीजे .

ह्वै बनमाल हिए लगिय अरु ह्वै मुरली अधर- रस पीजे .