कई कई बार
पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले
दो पैर
-बैशाखियों के सहारे क्यों ?
अनेकानेक
व्रज-आधात सहने वाला
एक सीना
-क्यों उस में हृदय-प्रत्यारोपण ?
अंधेरे में ही
मीलों दूर स्पष्ट देखने वाली
दो आंखें
-क्यों धारे पाषाणी-स्थिरता ?
आते युगों की
समास्याओं का समाधान लिए
एक ‘मैकेनाइज्ड’ दिमाग
-क्यों नहीं लगा सकता हिसाब
खुद की जिंदगी का ?
क्यों एक रघुकुली
खड़ा है झुका हुआ
जगह-जगह से टूटा-बिखरा हुआ
जमाना
न जाने किस स्वतंत्रता के लिए
लगातार कर रहा है युद्ध ?
अनुवाद : नीरज दइया