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क्यों नहीं बन पाए विदेह के उत्तराधिकारी / संजय तिवारी

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भाषा की सम्प्रेषणीयता
सम्प्रेषण की प्रक्रिया
प्रक्रिया का गतिरोध
संश्लेषण की शक्ति
संवेदना की तरलता
तरल अनुभूतियाँ
 तुम्हें कब समझ आयी
गौतम?
जब तुमने ज्ञान खोजा
या कि मृत्यु पायी?
हां राजकुमार
तुमसे ही पूछ रही हूँ
मैं यशोधरा हूँ
इसलिए ढूंढ रही हूँ।

तुमसे पहले भी थी यह दुनिया
और तुम्हारे बाद भी
इसे न तो तुम बदल सके
न ही तुम्हारा ज्ञान
कोई नहीं मिल सका समाधान
लेकिन बाँट गए तुम
एक नयी जमात छांट गए तुम
खुद के बाद की खातिर
खड़ी कर दी एक श्रंखला
पंथों की रीढ़ हीन मेखला
तुमने छीन लिए
छात्रों से भिक्षा के अधिकार
शिक्षा को तुमने
बना कर छोड़ दिया व्यापार
कौन सा ज्ञान पाए थे बुद्ध?
समाज नहीं हो पाया था शुद्ध
भारती के विभाजन की नींव
भारत की व्यापकता का प्रभाव
भारत की ज्ञान शिलाओं की महत्ता
भारत की अलंघ्य सीमाओं को
किसने लंघ्य बनाया?
भारती की कोख पर
पहला प्रश्न किसने उठाया?
संस्कृति के अनुत्तरित
सवालो के लिए बंद कर दिए
उत्तर पाने के सभी मार्ग
जनक जैसे महान तपस्वी
कुशल और ग्यानी शासक
नहीं याद आये?
विदेह के उत्तराधिकारी
तुम क्यों नहीं बन पाए?