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क्यों पथिक / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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क्यों पथिक तुमको डगर का रुख असुन्दर लग रहा है?
जो कि इस वरदान है वह दुख असुन्दर लग रहा है!
ज़िन्दगी ग़मग़ीन है माना, मगर रोना बुरा है-
मुस्करा भी दो तुम्हारा मुख असुन्दर लग रहा है!