क्यों भला ऊँची उड़ानों की ये ख़्वाहिश की गई
पर कटे होने पे भी उड़ने की कोशिश की गई
ऊँचे घर में बैठकर क्यों कर बता ऐ संगदिल
मेरे घर के कांच पर पत्थर की बारिश की गई
फन का मकसद आज केवल इक दिखावा रह गया
इस तरह क्यों हर तरफ फन की नुमाइश की गई
वो तो हम थे तोड़कर बैसाखियों को चल दिये
आसरा लेने की गो हम से गुज़ारिश की गई
बिजलियाँ उर्मिल भलें दे साथ अब सय्याद का
आशियानों को बचाने की तो काविश की गई।