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क्यों भला यह व्यर्थ की तक़रार है / रंजना वर्मा

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क्यों भला यह व्यर्थ की तक़रार है।
जबकि हर मुश्किल का हल बस प्यार है॥

आइए मिल कर सँवारें ज़िन्दगी
राह पर हैं फूल या फिर खार है॥

लड़ झगड़ कर भी बताओ क्या मिला
हाथ आयी जीत भी तो हार है॥

जो हुआ अच्छा हुआ यह मान लो
ईश ने जो भी दिया स्वीकार है॥

जब तुम्हारे हाथ में कुछ भी नहीं
तो शिकायत भी सभी बेकार है॥

जिंदगी है महाभारत दोस्तों
सत्य का ही जीत पर अधिकार है॥

बैठ अंतर में कन्हैया कह रहा
कर्म कर यह कर्ममय संसार है॥