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क्यों सबक लें? / असंगघोष
Kavita Kosh से
एक
चकवाङा
दूसरा
झज्जर
ऐसे एक नहीं
अनेक चकवाङा हैं
और झज्जर भी
हर कहीं
चहुँ ओर
यही घटित होता है
समय की गर्त्त में
सब कुछ भुलाने को
छिपते हुए
क्यों?
हम क्यों सबक लें?
आओ
यह प्रण लें
और अधिक कट्टर! बनें
निपटने,
तैयार रहें!