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क्यों साँसें आती जाती हैं मुश्किल के साथ आज / जावेद क़मर
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क्यों साँसें आती जाती हैं मुश्किल के साथ आज।
कुछ तो बुरा हुआ है मिरे दिल के साथ आज।
क्या बात है अकेला सर-ए-आसमाँ है क्यों।
तारे नहीं है क्यों मह-ए-कामिल के साथ आज।
तोङा है तू ने दिल को ये साबित करूँ गा मैं।
हूँ सामने मैं तेरे दलाइल के साथ आज।
तूफ़ान तो नहीं है कोई आने वाला फिर।
क्यों कश्तियाँ बंधी हैं ये साहिल के साथ आज।
आती है शाम ही से किसी बे वफ़ा की याद।
लगता है रात गुज़रेगी मुश्किल के साथ आज।
ग़ाफ़िल किसी की याद में इस दर्जा था 'क़मर'।
टकरा गया वो रहबर-ए-मंज़िल के साथ आज।