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क्यों हाथ जला, लाख छुपाए गोरी / जाँ निसार अख़्तर

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क्यों हाथ जला, लाख छुपाए गोरी
सखियों ने तो खोल के पहेली रख दी

साजन ने जो पल्लू तेरा खेंचा, तू ने
जलते हुए दीपक पे हथेली रख दी