भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्रांति / रतन सिंह ढिल्लों

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमारे पास
क्राँति की गोलियाँ हैं
इनका
कोई मोल नहीं है

केवल शर्त है
अपने वस्त्र उतार दो
और हिम हो चुके
ख़ून को पिघलाने के लिए
होठों पर एक
सिगरेट सुलगा लो ।
 
मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला