भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्रिसमस का उपहार / एलेन गिंसबर्ग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं आइंस्टाइन से सपने में मिला
प्रिंस्टन के मैदान की घास पर वसन्त
मैं घुटने पर झुका और मैंने उनके युवा अँगूठे को चूमा
अरुणाभ पोप की तरह
उनका चेहरा तरोताज़ा चौड़ा गुलाबी गालोंवाला
"मैंने एक अलग ब्रह्माण्ड की खोज की
कुछ-कुछ कुवाँरी स्त्री-सा"
"हाँ, वह जीव ख़ुद को जन्म देता है"
मैंने मस्केलिन को उद्धृत किया
हम खुली हवा सर्वव्याप्त गर्मी में बैठे
दोपहर का खाना खाने को, प्रोफ़ेसरों की बीवियाँ
टेनिस कोर्ट क्लब में,
हमारी मुलाक़ात शाश्वत, प्रत्याशित
उनकी मुट्ठी को चूमने की मेरी मुद्रा
अप्रत्याशित रूप से सन्तमुद्रा
अगर ध्यान दें उस एटम बम पर जिसका ज़िक्र मैंने नहीं किया

रचनाकाल : 24 दिसम्बर, 1972, न्यूयार्क।