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क्षणिकाएँ-2 / विपिन कुमार मिश्र
Kavita Kosh से
1
देवदूत समय पर आवै छै
कुछु-कुछु बाँटै छै
समय्ये पर देवदूत ऐलोॅ छै
बाँटे छै-
धीरज, गम आरो महगी ।
2
पेंच सें कसलोॅ जाय छै
जों अपना सिनी केॅ कस्हौं
तेॅ समझी लिहोॅ एकरा में
जरूरे कोय पेंच छै ।
3
हुनी किरिया खाय केॅ गेलै-
आरो वहाँ जाय केॅ
किरिया भूली गेलै
खाली खाय लागलै ।
4
हुनी परतीनिधि बनी केॅ गेलै-
हमर हिस्सा
परती रहलै आरो
निधि हुनी लै गेलै ।