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क्षमा करना पिता / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
इस कठिन समय में
कम पड़ गयी है
धरती पर ठहरने रहने
और सुकून की जगहें
बड़ी मुश्किल से मिली है मुझे
सिर छुपाने की जगह
मुश्किल है जहाँ
देह
मन
आत्मा को एक साथ
रखना भी
अब कहाँ रखूँ मैं
तुम्हारे संस्कारों की गठरी
क्षमा करना पिता
फेंक रहा हूँ इसे