खंड-11 / पढ़ें प्रतिदिन कुण्डलियाँ / बाबा बैद्यनाथ झा
एक बिकाऊ मैं नहीं, समझ मुझे अनमोल।
सबकुछ तो ईमान है, मुझे न कोई तौल।।
मुझे न कोई तौल, नहीं कुछ हाथ लगेगा।
मैं हूँ वह इस्पात, टूटकर साथ चलेगा।।
मेरा तो ईमान, रहेगा नित्य टिकाऊ।
भागो मुझसे दूर, नहीं मैं एक बिकाऊ।।
अपना नायक आ गया, दिया पाक ने छोड़।
“अभिनन्दन” है आपका, घटना यह बेजोड़।।
घटना है बेजोड़, देश करता अभिनन्दन।
लिए आरती हाथ, लगाकर रोली चन्दन।।
होगा तीव्र विकास, सत्य होगा अब सपना।
दिखलाकर निज शौर्य, शेर लौटा है अपना।।
करता मैं शिवरात्रि पर, गौरी-शिव का ध्यान।
गौरी दे सौभाग्य तो, शिव देते वरदान।।
शिव देते वरदान, आप हैं औढरदानी।
मैं पापी नादान, बहुत की है मनमानी।।
क्षमा करें हे देव, आप ही हैं दुखहर्ता।
अब दें थोड़ा ध्यान, प्रभो मैं वन्दन करता।।
पाता है आनन्द वह, जब अपने हों संग।
हाल भले विपरीत हो, पाता सतत उमंग।।
पाता सतत उमंग, पिया बिन जीवन सूना।
संग रहे परिवार, रहे आनन्दित दूना।
रहकर भूखा पेट, दुखी है फिर भी गाता।
सुख-दुख को सम जान, हमेशा सुख ही पाता।।
मुझको अपने कर्म पर, है इतना विस्वास।
जहाँ गए मेरे कदम, रच देते इतिहास।।
रच देते इतिहास, बने जब सृजन मनोहर।
कर लेते सब याद, बनाते लोग धरोहर।।
कर ले उत्तम कर्म, सीख है मेरी तुझको।
आदर से गुणवान, लोग कहते हैं मुझको।।
भारत के वे लाड़ले, देकर अपनी जान।
बढ़ा दिया है विश्व में, भारत का सम्मान।।
भारत का सम्मान, देश यह भूले कैसे।
राज भगत सुखदेव, सिंह हों उनके जैसे।।
राजनीति तो आज, बनी है मात्र तिजारत।
वीरों का वलिदान, याद करता है भारत।।
माँगा तुमने पाक अब, हमसे ग़र कश्मीर।
देंगे तुमको हम वहाँ, टाँग पकड़कर चीर।।
टाँग पकड़कर चीर, भुला दो अब यह नारा।
भारत का भूभाग, सदा कश्मीर हमारा।।
टूट गयी है नीन्द, शेर है अब यह जागा।
कर देगा बर्बाद, कभी जन्नत को माँगा।।
पाकर आमन्त्रण गये, हम कविगण नेपाल।
कर आए निज देश का, जग में चा भाल।।
जग में चा भाल, शान्ति सन्देश सुनाया।
मैत्री का हर भाव, वहाँ भी खूब जगाया।।
विविध छन्द अरु गीत, मंच पर ग़ज़लें गाकर।
लौट गये सब देश, मान यश आदर पाकर।।
नारी देखे निज दशा, ज्यों घट-जल में मीन।
जीते द्वय प्रतिबन्ध में, सुख-सुविधाएँ क्षीण।।
सुख-सुविधाएँ क्षीण, क्षणिक ही मिलती सुविधा।
हो बन्धनमुक्त, मगर है भारी दुविधा।।
सामाजिक परिवेश, दिखाता बन्धन भारी।
कुल मर्यादा तोड़, नहीं जी सकती नारी।
कसमें हिन्दुस्तान की, खाते हैं दिनरात।
सोचे मन में मैल रख, पाकिस्तानी बात।।
पाकिस्तानी बात, देश के हैं वे दुश्मन।
आतंकी को पास, बुला देते संरक्षण।।
सजग रहें हम-आप, रहें वे सारे हद में।
संरक्षित हो देश, अगर हम खा लें कसमें।।