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खगोलीय संगीत / लुईज़ा ग्लुक / विनोद दास

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मेरी एक सहेली है जो अभी भी जन्नत में यक़ीन करती है
इतनी नासमझ नहीं है अगरचे वह इतना ज़रूर जानती है
कि वह ईश्वर से सचमुच बात करती है
वह सोचती है कि जन्नत में कोई सुनता है
धरती पर वह असाधारण रूप से सक्षम है
जाँबाज़ भी किसी भी अप्रिय चीज़ का सामना कर सकती है
हमें मिलती है गन्दगी में इल्ली
लालची चीटियाँ उस पर रेंगती हैं

मैं हमेशा विपदाओं से विचलित हो जाती हूँ
हमेशा जीवनदायी ताक़तों के ख़िलाफ़ रहती हूँ
दब्बू भी हूँ जल्दी आँखें बन्द कर लेती हूँ
जबकि मेरी शेली उसे देखती रह सकती है कि चलो देखें
यह कैसे घटता है
कुदरत की चाल के अनुसार — मेरे लिए उसने
टूटी-फूटी चीज़ों से चीटियों को बुहार दिया
और सड़क के दूसरी तरफ अच्छी तरह से ठिकाने लगा दिया
मेरी सहेली कहती है मैं ईश्वर से विमुख आँखें बन्द रखती हूँ
यह और कुछ नहीं
हक़ीक़त से मेरी रुसवाई को बयान करता है

वह कहती है कि मैं एक बच्ची-सी हूँ जो
अपना सिर तकिये में छिपाए रखती है
ताकि उसे कोई देख न ले — वह बच्ची जो ख़ुद कहती है —
रोशनी से उदासी आती है
मेरी सहेली माँ सरीखी है — धीरज वाली
एक बालिग़ की तरह जगने के लिए ज़ोर डालने वाली
जैसी वह है — एक बहादुर लड़की

मेरे सपनों में मेरी दोस्त फटकारती है
हम दोनों एक ही सड़क पर चल रहे हैं, बस जाड़ों के दिन हैं
वह कहती है — जब तुम मुहब्बत करती हो
तब तुम्हें खगोलीय संगीत सुनाई देता है
ऊपर देखो ! — वह कहती है
जब मैं देखती हूँ ऊपर — वहाँ कुछ नहीं है
सिर्फ़ बादल हैं, बर्फ़ है
दरख़्तों पर सफ़ेद बर्फ़ गिर रही है
मानो कोई दुल्हन ऊँची जगह से कूदना चाहती है
तब मैं उसके लिए फ़िक्रमन्द होती हूँ

मैं उसे एक ऐसे जाल में फँसा देखती हूँ
जो जानबूझकर धरती पर फेंका गया है
हक़ीक़त में मैं सड़क के किनारे बैठकर
सूरज ढलते हुए देखती हूँ
कभी कभार परिन्दों की चहचहाहट
ख़ामोशी को चीर देती है

इन पलों में
हम यह बात साफ़ करने की कोशिश करती हैं
कि हम मृत्यु, अकेलेपन के साथ सहज हैं
मेरी सहेली गन्दगी में एक घेरा बनाती है
इसके भीतर इल्ली नहीं आती
वह कुछ मुक्कमल बनाना चाहती है
कुछ सुन्दर, एक ऐसी छवि
एक ऐसी क़ाबिल ज़िन्दगी जो उससे अलग हो

हम बेहद ख़ामोश हैं यह बोलना नहीं, शान्ति से बैठना है
मुद्राएँ तय हैं
सड़क पर सहसा अन्धेरा घिर आता है
हवा ठण्डी हो गई है, इधर-उधर
चट्टानें चमक दमक रही हैं
यही शान्ति है जिसे हम दोनों प्यार करते हैं
प्रेम का रूप ही प्रेम का अन्त है

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास