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खटखटाता नहीं कोई / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
खटखटाता नहीं कोई
जो खुले रहते हैं सदा
उन दरवाज़ों को
गुज़रते रहते हैं लोग
उन में से हो कर।
एक हलकी-सी थपकी
कभी चाह सकता है कोई
जिस के लिए पर
होना पड़ेगा बन्द उस को
खो देता है खुद को
दरवाज़ा रास्ता हो कर।
(1990)