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खड़ी होती हूँ फिर-फिर / माया एंजलो / शुचि मिश्रा

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जो विकृत और कड़वे झूठ हैं तुम्हारे पास
निस्सन्देह उनसे तुम ग़लत दर्ज करोगे मेरा इतिहास
धूल में मिला सकते हो तुम मुझे गिर-गिर
किन्तु मैं उसी धूल से खड़ी होंऊँगी फिर-फिर

क्या मेरी साफ़गोई दुखी करती है तुम्हें
तुम दुख में क्यों डूब जाते हो ?
शायद इसलिए कि मैं अपने मान से चलती हूँ
मानो कि तेल के कुएँ हों मेरी बैठक में

चाँद-सूरज की तरह
और ज्वार की तरह दृढ़ता से
जैसे उत्ताल आकांक्षाएँ उठती हैं, वैसे मैं भी

क्या तुमने टूटा हुआ देखना चाहा है मुझे
झुका हुआ सिर और झुकी हुई नज़रें
या फिर दिल दहला देने वाली मेरी रुलाई
और अश्क़ों के क़तरों से झुके हुए कन्धे

क्या मेरे गर्व से अपमानित होते हो तुम
मैं हँसती हूँ इस अभिमान के साथ जैसे
मेरे घर के आँगन में निकल आई हों स्वर्ण-ख़ानें

अपने शब्द-शर से मुझे बेध सकते हो तुम
तहस-नहस कर सकते हो अपनी पैनी नज़रों से
अपनी नफ़रत से कर सकते हो मेरी हत्या
लेकिन मैं फिर भी खड़ी हो जाऊँगी जैसे हवा

क्या गुस्सा दिलाती है तुम्हें मेरी मादकता
क्या तुम्हें मुझे देखकर होता है अचम्भा
जब मैं ऐसे नाचती हूँ
जैसे हीरे छुपा रखे जँघाओं के मध्य

मैं हूँ झुग्गियों से उगी ऐतिहासिक शर्म से बनी
मैं दुख से उदित अपने व्यतीत से
उठी हूँ
विशाल स्याह महासागर हिलोरता है, वह मैं हूँ
जो छलछलाते उमड़ते-घुमड़ते ज्वार समेटे हो

डर और विध्वंस की निशा छोड़ती,
उठ जाती हूँ
एक अनोखे उज्जवल सवेरे में होता है
मेरा उदय
लाई हूँ अपने साथ पूर्वजों के दिए गए तोहफ़े
दासों के स्वप्न और आशा हूँ मैं
उठती हूँ...
उठती हूँ...
फिर-फिर !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि मिश्रा
 –
लीजिए, अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए
               Майя Анжелу
                Я поднимаюсь

Клевещите и хулите –
Бранных слов я не боюсь.
Прямо в грязь меня втопчите –
Но, как пыль, я поднимусь.

Оскорбляет моя дерзость?
Вы не думали, что мне
Хватит наглости держаться
С вами всеми наравне?

С неизбежностью потока,
Смывшего открытый шлюз,
Как бессмертная надежда,
Поднимусь.

Вы сломить меня хотели?
Поглазеть на мой позор,
Мои сгорбленные плечи
И потухший, скорбный взор?

Огорчает моя смелость?
Признаюсь, что есть – то есть.
Я шагаю, словно денег
В кошельке моем не счесть.

Пусть звучат слова презренья:
Сбросив с плеч извечный груз
Вашей лютой неприязни,
Я, как воздух, поднимусь.

Возмущает моя внешность?
Да! Всегда танцую я,
Так, как будто бриллианты
На груди моей горят.

Из вековой, полной скорби, юдоли,
Я поднимаюсь.
Прямо из прошлого, смятого болью,
Я поднимаюсь.
Словно шальной океанский прибой,
Новую жизнь я несу за собой.
Нет больше страха и мрачных ночей,
Я поднимаюсь.
В ясном сияньи рассветных лучей
Я поднимаюсь.
Я – воплощенье желанной судьбы,
Той, о которой молились рабы,
Я поднимаюсь,
Я поднимаюсь,
Я поднимаюсь.

Перевела с английского: Cordy Laer
 –
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
    MAYA ANGELOU
           Still I Rise

You may write me down in history
With your bitter, twisted lies,
You may trod me in the very dirt
But still, like dust, I'll rise.

Does my sassiness upset you?
Why are you beset with gloom?
’Cause I walk like I've got oil wells
Pumping in my living room.

Just like moons and like suns,
With the certainty of tides,
Just like hopes springing high,
Still I'll rise.

Did you want to see me broken?
Bowed head and lowered eyes?
Shoulders falling down like teardrops,
Weakened by my soulful cries?

Does my haughtiness offend you?
Don't you take it awful hard
’Cause I laugh like I've got gold mines
Diggin’ in my own backyard.

You may shoot me with your words,
You may cut me with your eyes,
You may kill me with your hatefulness,
But still, like air, I’ll rise.

Does my sexiness upset you?
Does it come as a surprise
That I dance like I've got diamonds
At the meeting of my thighs?

Out of the huts of history’s shame
I rise
Up from a past that’s rooted in pain
I rise
I'm a black ocean, leaping and wide,
Welling and swelling I bear in the tide.

Leaving behind nights of terror and fear
I rise
Into a daybreak that’s wondrously clear
I rise
Bringing the gifts that my ancestors gave,
I am the dream and the hope of the slave.
I rise
I rise
I rise.