भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खण्ड-19 / सवा लाख की बाँसुरी / दीनानाथ सुमित्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

361
नेता का कब्जा हुआ, तमिलनाडु कश्मीर।
भक्तों की ही भीड़ है, कृष्णा, झेलम तीर।।

362
नेता कोई है नहीं, सब हैं पाकिटमार।
बुतरू, वानर हो रहे, कल खातिर तैयार।।

363
नेता संन्यासी हुआ, मठ हो गया महान।
राजनीति को धर्म का, मिला सदा वरदान।।

364
नेता का धन स्रोत है, अच्छा बड़ा खटाल।
गायें हैं ये पालते, बना कोटिशरू माल।।

365
नेता पहले दीन था, अब हो गया अमीर।
कई कारखाने लगे, समझ न पाये पीर।।

366
नेताजी को नाथने, चलो हमारे साथ।
पीछे-पीछे सब रहो, आगे दीनानाथ।।

367
नेताजी को चाहिये, केवल जन के वोट।
वोट खरीदेंगे अभी, जेब भरे हैं नोट।।

368
नेताओं से आ गई, सारी जनता तंग।
टुकड़े-टुकड़े कर दिये, भारत माँ के अंग।।

369
नेताजी कैसे कहा, बदल रहा है देश।
द्रोपदियों के आजतक, खुले पड़े हैं केश।।

370
नेताजी बरसाइये, इस धरती पर मेह।
खूब पता है आपको, कितना इससे नेह।।

371
नेताजी जन्नत बसे, बेगम रहती साथ।
मौज कर रहे शान से, सत्ता इनके हाथ।।

372
नेताजी सरदार हैं, कर मत रोज सवाल।
इनके चरणों में झुके, काल और विकराल।।

373
अपने भारत देश में, नेता कई हजार।
पैजामा कुर्ता पहन, बनते हैं सरदार।।

374
सज्जन होना है गलत, दुर्जन होना ठीक।
सज्जन पर ही फेंकती, सारी दुनिया पीक।।

375
राज चलाता कौन है, जनता या सरदार।
जाति-धर्म-धन तीन से, होता बेड़ा पार।।

376
भक्ति हृदय से तुम करो, करो नहीं तुम ढोंग।
भक्तों ने ही ईश को, बना दिया है रोग।।

377
नेता भ्रष्टाचार को, मान रहे वरदान।
नेताओं के भोग का, साधन यही महान।।

378
नेताओं के सत्य की, करे परीक्षा कौन।
न्यायालय भी चुप खड़े, जनता भी है मौन।।

379
नेता जी ने राम के, भक्त बनाये कोटि।
भक्त गा रहे हैं सभी, हर पल राग झिंझोटि।।

380
नेता रे इस प्याज की, खेती करवा बंद।
राजनीति को यह सदा, करवा देता मंद।।