41
भैया मूरख बन गया, बनकर चौकीदार।
यह लाशों का गाँव है, ना दर ना दीवार।।
42
आया समय चुनाव का, आये दाता वीर।
ये बदलेंगे दोस्तों, भारत की तस्वीर।।
43
कैसे अपने देश में, जीतेगा ईमान।
कहने का हक है उसे, जो जन है बलवान।।
44
प्रजातंत्र है, मंच पर, चढ़कर करो गलौज।
हमसब दुबके शेर हैं, करो खूब तुम मौज।।
45
मत देने के पूर्व ही, करिए, मनन-विचार।
प्रतिनिधि ऐसा भेजिए, जिसमें नहीं विकार।।
46
पशु मठधारी है नहीं, खग कब माँगे भीख।
देने वाले हैं यही, हमको सच्ची सीख।।
47
देशभक्ति इक भाव है, प्रीत प्रियम अनमोल।
इसमें है अन्तरनिहित, सब भूगोल-खगोल।।
48
वादों की बरसात में, भीग रहा है देश।
छाता फटा न ओढ़िये, यह सुमित्र संदेश।।
49
काला-काला हो गया, है सारा आकाश।
शायद सूरज हो गया, ख़ुद से बहुत निराश।।
50
वोट बाँटते जा रहे, अपना घर-परिवार।
फिर भी हम समझें नहीं, कितने हम लाचार।।
51
मेरे दोहों में हुआ, यह किसका अवतार।
मेरी गर्दन पर पड़ी, मेरी ही तलवार।।
52
नदी उदासी साथ ले, पहुँची सागर तीर।
दशा देखकर हो गया, धीर सिंधु गंभीर।।
53
खून चढ़ाना था जिसे, रहा खून वह चूस।
रक्त रिटर्निंग के लिए, माँगे निष्ठुर घूस।।
54
पंडितजी बतलाइए, किसका होगा राज।
‘भुज बल, धन बल पास में, उसके सर पर ताज’।।
55
ऊर्जा अन्तस में रहे, जब माँ आये याद।
माँ की मूरत आज भी, रखती है आबाद।।
56
मातृ वंदना में मुझे, दिखता है दिनमान।
रश्मि दान की प्राप्ति से, रहता हूँ बलवान।।
57
हरी-भरी धरती रहे, नदियाँ हों जलयुक्त।
वरना दुख से हो नहीं, सकता है जग मुक्त।।
58
सच का बस सम्मान हो, टूटे हर पाखंड।
जो गहरा अपराध हो, तो गहरा हो दंड।।
59
जागरूक जनता अगर, सच का होगा राज।
पर उसको आता नहीं, करना सच्चा काज।।
60
अलता आँखों में लगा, कजराया है पाँव।
हा हा जनता हँस रही, पागल सारा गाँव।।