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खतरो / सांवर दइया
Kavita Kosh से
रंगां रै अरथ री
खोज-पड़ताल री बेळा
ठा पड़ी-
खतरै रो निसाण : लाल रंग
आज बा ऊभी है
लाल जोड़ै में
लाल टीको लगायां
मांग में सिंदूर भर’र
देखो किस्मत-
म्हनै बीं सूं मिलणो है !