खद्दरधारी खर कई चरग्या चारों कूंट,
शिवदीन वोट के कारणे घर-घर फैली झूठ।
आज काल का हाल ये आगे कौन हवाल,
महगांई आवाज दे बढ़-बढ़ कर हर साल।
बढ़-बढ़ कर हर साल दुःखी होगा जन केता,
हुआ देश बेहाल मौज मारे सब नेता।
राम गुण गायरे।
खद्दरधारी खर कई चरग्या चारों कूंट,
शिवदीन वोट के कारणे घर-घर फैली झूठ।
आज काल का हाल ये आगे कौन हवाल,
महगांई आवाज दे बढ़-बढ़ कर हर साल।
बढ़-बढ़ कर हर साल दुःखी होगा जन केता,
हुआ देश बेहाल मौज मारे सब नेता।
राम गुण गायरे।