भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खबर सुनाओ / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
खबर सुनाओ
ज़रा गाँव की
कौन कहाँ रहता है
क्या पड़ोस के घर में अब भी
बसता है किसना ही
टीले वाला मंदिर क्या
अब भी सच्चा वैसा ही
बारह मास
नदी में
पानी क्या अब भी बहता है
सूरदास क्या इकतारे पर
भजन वही गाता है
बिरजू औ' जुम्मन का अब भी
क्या वह ही नाता है
बरगद के नीचे
क्या साधू
कथा वही कहता है
पिछवाड़े की बगिया में
क्या होते अब भी जामुन
उन पर आते होंगे भौंरे
करने दिन-भर गुनगुन
यादें ये सब
सड़कों-सड़कों
अपना मन सहता है