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खरगोश, शिकारी कुत्ते और जंगल का विकास / नीरज नीर

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तुम्हें नहीं आना है
मत आओ
अपनी सड़कों, रेलगाड़ियों के साथ
मत आओ
अपने विकास की अनगढ़ अवधारणओं के साथ
तुम जो सोचते हो सही है
वही सही नहीं है
तुम सही और ग़लत के एक सिरे को पकड़ कर ही
पंहुच गए हो निर्णय पर
पर तुम नहीं जानते
इसके दूसरे छोर के बारे में
तुम अपने आपके सिवा कुछ जानते ही नहीं
तुम आना चाहते हो क्योंकि
तुम्हें दिखाई देता है अपना विकास
हमारे विकास में
तुम्हें हमारे पिछड़ेपन से कोई मतलब नहीं
तुम खरगोशों के लिए जंगल साफ करना चाहते हो
अपने शिकारी कुत्तों के साथ