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खरी दुपहरी भरी हरी हरी कुंज मँजु / देव
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खरी दुपहरी भरी हरी हरी कुंज मँजु
देव अलि पुंजन के गुंज हियो हरिजात ।
सीरे नदनीरन गँभीरन समीर छांह
सोवै परे पथिक पुकारैं पिक करि जात ।
ऎसे मे किसोरी भोरी गोरी कुम्हिलाने मुख
पंकज मे पांय धरा धीरज मे धरि जात ।
सोहैं घनस्याम मग हेरति हथेरी ओट
ऊचे धाम बाम चढ़ि आवत उतरि जात ।
देव का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।