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ख़त्म करना है मुझे ख़्वाब का क़िस्सा इक दिन / तसनीफ़ हैदर
Kavita Kosh से
ख़त्म करना है मुझे ख़्वाब का क़िस्सा इक दिन
बन के ताबीर कहीं तू मुझे मिल जा इक दिन
तुझ को आना है तो जल्दी से चली आ मुझ में
बंद होना है मिरी आँखों का रस्ता इक दिन
मुझे में तहलील न होने का जुनूँ है उस को
और मैं होश से ये काम करूँगा इक दिन
मैं ने इस रात की ख़ातिर कई दिन हारे हैं
अब तो बस चाहिए मुझ को मिरा हिस्सा इक दिन
इसलिए हम ने बुराई से भी नफ़रत नहीं की
क्यूँकि हम ढूँढ रहे थे कोई अच्छा इक दिन