ख़त्म रंगों से भरी रात हुई जाती है
ज़िन्दगी भोर की बारात हुई जाती है
उनको छुट्टी नहीं मेंहदी के लगाने से उधर
और इधर अपनी मुलाक़ात हुई जाती है
भूलता ही नहीं कहना तेरा नम आँखों से
'अब तो रुक जाइए, बरसात हुई जाती है'
यों तो दुनिया तेरी हर चाल समझते हैं हम
ख़ुद ही बाज़ी ये मगर मात हुई जाती है
उनके आगे नहीं मुँह खोल भी पाते हों गुलाब
आँखों-आँखों में ही कुछ बात हुई जाती है