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ख़बरों में रेडियो ने गर कुछ कहा नहीं / बल्ली सिंह चीमा
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ख़बरों में रेडियो ने गर कुछ कहा नहीं ।
ये मत समझ कि देश में कुछ भी हुआ नहीं ।
वो कह रहे हैं आग तो लगते ही बुझ गई,
मतलब नहीं कि आग में कोई जला नहीं ।
गेहूँ कटा पड़ा है बरसात हो रही,
तुम फिर भी कह रहे हो मौसम बुरा नहीं ।
हाथों में लाठियाँ ले वे ढूँढ़ते हैं तुमको,
तुम कह रहे हो मुझसे कोई ख़फ़ा नहीं ।
ठण्डी हवा के झोंके दिल्ली में चल रहे,
’बल्ली’ के गाँव में ही चलती हवा नहीं ।