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ख़मसा-1 / नज़ीर अकबराबादी

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एक नुक्ता<ref>भेद, रहस्य</ref> और सुनो यारो जो कौल<ref>वचन</ref> बचन के साँचे हैं।
यह रम्ज<ref>रहस्य</ref> उन्होंने खोली है ये हर्फ<ref>अक्षर</ref> उन्होंने बाँचे हैं।
क्या आदम चीटीं बैल शुतुर क्या हाथी घोड़े लाँचे हैं।
क्या हूर<ref>स्वर्ग-अप्सरा</ref> मलिक<ref>फरिश्ते</ref> के काबिल हैं क्या जिन्नोपरी के साँचे हैं।
हर सूरत में एक मूरत है उस मूरत के सब साँचे हैं॥ हर.

क्या फूल खिले हैं कु़दरत के यां आकर बाग बहारों में।
कलियों में कलियां फूल रहीं डाली है डाल हज़ारों में।
कुछ ऊपर रहतीं हारों में कुछ नीचे रहती झाड़ों में।
कुछ अर्जोसमां<ref>धरती-आकाश</ref> की कफ्शों<ref>जूते, पादुका</ref> में कुछ रहती चाँद सितरों में॥ हर.

नै होश ठिकाने क्या कहिये क्या जोर लगा है नल नल में।
जो एक में एक और सौ में सौ और लाख में लाख और दिल दिल में।
गेहूँ में गेहूँ जौ में जौ चावल में चावल फल फल में।
क्या पिदड़ी लाल कबूतर में क्या पिस्सू मच्छर खटमल में॥ हर.
क्या रंग भरा है कुदरत का हर आन भरे और रीते में।
जो आग लगी उस पत्थर से वह भड़की आन पलीते में।
बादाम चिरौंजी पिस्ते में क्या महुए और पपीते में।
क्या गीदड़ चर्ख चकोरों में क्या शेर हिरन और चीते में॥ हर.

हर पीपल में तो पीपल है पाखर में पाखर बड़ में बड़।
जामन में जामन आम में आम और छाल में छाल और जड़ में जड़।
क्या चीतल शिकरी बहरी बाज कूही या शाह और लग्घड़।
क्या चीलें कौये हंस हुआ क्या तूती मैनां और दहियर॥ हर.

है बीज के अन्दर बीज भरा और है लकड़ी लकड़ी लक्कड़ में।
है मक्खी मक्खी मक्खी में और मकड़ी मकड़ी मक्कड़ में।
जो बेल पाट पर फैल चलें है तूंबी बेलैं कुम्हड़े में।
तरबूजे तुरई खरबूजे में क्या सैमें खीरा ककड़ी में॥ हर.

है दरिया दरिया दरिया में और सहरा<ref>जंगल</ref> जंगल जंगल में।
ऊजड़ में ऊजड़ बस्ती में बस्ती है कोंपल कोंपल में।
क्या मोती मूंगे पन्ने में क्या हीरे लाल जमुर्रद में।
क्या हवा और जल थल में हर सूरत में एक सूरत है॥ हर.

यह चूंओं चरा की जाय नहीं यह जितनी चूड़ी चंदी है।
क्या कुदरत की रंगामेज़ी<ref>चित्रकारी</ref> में हिकमत<ref>बुद्धिमत्ता</ref> की कन्दा कंदी है।
हर जानिब घेरा घेरी है हर तरफ को बन्दा बंदी है।
क्या कहिए और ‘नज़ीर’ आगे कुछ राज जंजीरा बंदी है।
हर सूरत में एक मूरत है उस मूरत के सब साँचे हैं॥ हर.

शब्दार्थ
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