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ख़ामोशी / हूबनाथ पांडेय
Kavita Kosh से
मरने से ठीक पहले
वह चीखा भर होता
तो शायद बच सकता था
सिर्फ़ बचे रहने के लिए
वह उम्र भर ख़ामोश रहा